Sanskrit Spoken Class-2

  1. मैं जाता हूँ – I go – अहं गच्छामि।
  2. मैं नहीं जाता हूँ – I do not go – अहं न गच्छामि।
  3. मैं घर जाता हूँ – I go to home – अहं गृहम् गच्छामि।
  4. मैं खाना खाता हूँ – I eat food – अहं भोजनम् खादामि।
  5. मैं पुस्तक पढ़ता हूँ- I read book – अहं पुस्तकम् पठामि।
  6. मैं वहाँ जाता हूँ – I go there – अहम् तत्र गच्छामि।
  7. वहाँ मैं जाता हूँ – There I go – तत्र अहम् गच्छामि।
  8. मैं हमेशा स्कूल जाता हूँ – I go to school daily – अहम् सदैव विद्यालयम् / पाठशालाम् गच्छामि।
  9. मैं हमेशा सुबह टहलने जाता हूँ – I go for walk every morning – अहम् प्रतिदिनम् प्रातः विहारम् गच्छामि / अहम् प्रतिदिनं प्रातः विहर्तुम् गच्छामि।
  10. मैं शाम को खेलने जाता हूँ – I go to play in the evening – अहम् सायम् क्रीडितुम् गच्छामि।
  11. मैं स्कूल पढ़ने के लिए जाता हूँ – I go to school for studying – अहम् विद्यालयम् पठितुम् गच्छामि।
  12. मैं रात्रि को खेलने नहीं जाता – I do not go to play in the night – अहम् रात्रौ क्रीडितुम् न गच्छामि।
  13. मैं वहाँ नहीं जाता हूँ – I do not go there – अहम् तत्र न गच्छामि।
  14. मैं प्रतिदिन सुबह स्नान करता हूँ- I take bath daily in the morning – अहम् प्रतिदिनम् प्रातः स्नानम् करोमि।
  15. मैं बाजार जाता हूँ और सब्जी खरीदकर लाता हूँ – I go to the market and get vegetables – अहम् हाटम् गच्छामि च शाकम् क्रय कृत्वा आनयामि।
  16. मैं बाजार जाता हूँ और किताबें खरीदकर लाता हूँ –  I go to the market and get books – अहम् हाटम् गच्छामि च पुस्तकम् क्रय कृत्वा आनयामि।
  17. मैं बाजार जाता हूँ और फल खरीदकर लाता हूँ –  I go to the market and get fruits – अहम् हाटम् गच्छामि च फलम् क्रय कृत्वा आनयामि।
  18. मैं घर जाता हूँ और गेंद लेकर आता हूँ – I go to the home and get the ball – अहम् गृहम् गच्छामि च कन्दुकम् आनयामि।
  19. मैं मंदिर जाता हूँ और प्रार्थना करके आता हूँ – I go to the temple and come back after praying – अहं मन्दिरम् गच्छामि च प्रार्थना कृत्वा आगच्छामि।
  20. मैं मंदिर जाकर प्रार्थना करके फिर आता हूँ – I go to the temple, pray, and then come back – अहं मन्दिरम् गत्वा प्रार्थना कृत्वा पुनः आगच्छामि।

भगवद गीता श्लोक – 2

दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ।। 

  1. द्रष्टा = देखकर | तु = तो, लेकिन | पाण्डवानीकं = पाण्डवाः + अनीकम् = पांडवों की सेना | व्यूढ़ं = व्यूह रचना | दुर्योधनस्तदा = दुर्योधनः + तदा = तब, उस समय
  2. आचार्यमुपसङ्गम्य = आचार्यम् + उपसङ्गम्य = निकट जाकर | राजा = राजा | वचनमब्रवीत् = वचनम् + अब्रवीत् = कहा |
  • On seeing the formation of Pandava army, King Duryodhan (approached) went near to his teacher Dronacharya and said.
  • पाण्डवों की सेना को व्यूहबद्ध देखकर, राजा दुर्योधन उस समय (तब) आचार्य (द्रोणाचार्य) के पास गया और कहा।
  • उपर्युक्त श्लोक को हम गद्य रूप में ऐसा लिख सकते हैं – The above verse can be written in prose form as – पांडवाः अनीकम् व्यूढ़म् द्रष्टा, राजा दुर्योधनः तु तदा आचार्यम् उपसङ्गम्य एते वचनं अब्रवीत् ।

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